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ताँका / सुधा गुप्ता

ताँका
1
बाँस की पोरी
निकम्मी खोखल मैं
बेसुरी , कोरी
तूने फूँक जो भरी
बन गई ‘बाँसुरी’
2
तेरा ही जादू
दूध पीना भूला है
गैया का छौना
चित्र -से मोर ,शुक
कैसा ये किया टोना
3
मिली झलक
लगी नहीं पलक
रूप सलोना
श्याम ने किया टोना
राधिका भूली सोना
4
बाँस कि पोरी
बनी रे मुरलिका
श्याम दीवानी
राधिका रो-रो मरे
चुराए, छिपा धरे
5
कान्हा क्या गए
राधा हुई बावरी
कैसी विकल
सदा गीला आँचल
सूखे न किसी पल
6
चाँदनी -स्नात
शरद-पूनो रात
भोर के धोखे
पंछी चहचहाते
जाग पड़ता वन
7
बड़ी सुबह
सूरज मास्टर दा’
किरण-छड़ी
ले, आते धमकाते
पंछी पाठ सुनाते
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