Last modified on 20 मई 2012, at 10:54

ड्राईंग / अंजू शर्मा

Dr. ashok shukla (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 10:54, 20 मई 2012 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार= अंजू शर्मा |संग्रह=औरत होकर सवाल क...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

उसकी नन्ही सी दो आँखे
चमक उठती है देखकर
तस्वीरों की किताब,
लाल पीले हर नीले
सभी रंग लुभाते हैं उसे
पर माँ क्यों थमा देती है
अक्सर काला तवा
जब लौट कर आती है
बड़ी कोठी के काम
से थककर,
और वो निर्विकार बनाती है
नन्हे हाथों से
कच्ची रोटी पर ड्राईंग
माँ से नज़र बचाकर