कितना ज़लज़ला
कितना तूफ़ान आया--
सदहा सदियों में
उभर के इन्सान आया
गो लाख हैवान से भी
बदतर है वो आज
आख़िर तो उसी से 'उठके'
इन्सान आया
कितना ज़लज़ला
कितना तूफ़ान आया--
सदहा सदियों में
उभर के इन्सान आया
गो लाख हैवान से भी
बदतर है वो आज
आख़िर तो उसी से 'उठके'
इन्सान आया