Last modified on 15 जून 2012, at 22:35

खबरिया / अरविन्द श्रीवास्तव

अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 22:35, 15 जून 2012 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अरविन्द श्रीवास्तव |संग्रह=राजधा...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

पहले से मसहरी में डेरा जमाए
दस-बारह मच्छरों को
मैंने मार गिराया

भोजन के बाद बाहर
पिता जी अब भी टहल रहे थे
चौपाई आदि गुनगुनाते

ठहर-ठहर कर आवाज़ आती है
किचन से
खटर-पटर की

आज समाचार चैनलों ने
कोई धमाकेदार ख़बर नहीं सुनाई
इसलिए भी सूना-सूना सब कुछ
विषादमय लग रहा है कि जैसे
हमने दिमाग को
गिरवी रख दी हो
ख़बरियों के पास !