Last modified on 16 जून 2012, at 12:47

तंगहाली में / अरविन्द श्रीवास्तव

अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 12:47, 16 जून 2012 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अरविन्द श्रीवास्तव |संग्रह=राजधा...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

तंगहाली में चूहों को देखता हूँ मैं
और चूहे मुझे

हम बद्दुआओं और शापों को तलाशते हैं
बुरे स्वप्नों की व्याख्या करते हैं और
आँत की मरोड़ व रसद-गोदामों के बारे में
बतियाते हैं
हम बतियाते हैं मंहगाई और
खाऊ जनप्रतिनिधियों के बारे में
ठीक-ठाक चलती रहती है
हमारी रिश्तेदारी

सेल्फ़ पर रखे मोटे धार्मिक-ग्रंथों के पीछे
रहते थे चूहे
इसलिए भी सेहत उनकी कमज़ोर नहीं थी

ज्यों-ज्यों बढ़ती गई मेरी तंगहाली
चूहे देखते मुझे छिप-छिप कर
सहज किन्तु चौकन्ने
और मैं उन्हें ललचाई आँखों से

इससे पहले मैं उन्हें आग में भून
कर पाता उदरस्थ
वे गए यहाँ से फूट !