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रह़गुजर / अकील नोमानी
Dr. ashok shukla
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ग़ज़ल
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महाजे़-जंग पर अक्सर बहुत कुछ खोना पड़ता है / अकील नोमानी
हर शाम सँवरने का मज़ा अपनी जगह है / अकील नोमानी
जो कहता था हमारा सरफिरा दिल, हम भी कहते थे / अकील नोमानी
एहसास में शिद्दत है वही, कम नहीं होती / अकील नोमानी
/ अकील नोमानी
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