वे जो मारे गए हैं समूह में
उनकी कोई शिनाख़्त नहीं है
न ही कोई कसूर
वे थे एकत्रित और करना चाहते थे आवाज़ को भी एक़ित्रत
वे जो मारे गए हैं समूह में
उन्हें नहीं मिलेगा मुआवज़ा
न ही कोई पहचान
वे आज ख़बर में भी हैं समूह में
वे जो मारे गए हैं समूह में
वे समझते थे कि समूह की आवाज़ से
वे बदल देगें यह दुनिया
या दुनिया की सोच
वे आज मरे पड़े हैं और दुनिया ठीक वैसी ही चल रही है ।