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राख-इराक़ / गीत चतुर्वेदी

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बहुत सारे हथियारों के साथ
वे दनदनाते हुए घुसेंगे आपके घर में
और कहेंगे कि सारे हथियार निकाल फेंको
उन पर सिर्फ़ हमारा हक़ है
वे आपको रास्ते में रोक लेंगे और
नाक पर पिस्तौल सटाकर कहेंगे
जेब में जितने भी हों पैसे
हमें दे दो
पैसों पर सिर्फ़ हमारा हक़ है
वे आधी रात को फ़रमान जारी कर कहेंगे
अपनी औरतों को भेज हो हमारे तंबुओं में
ख़ूबसूरत औरतों पर सिर्फ़ हमारा हक़ है

वे मासूम बच्चों की आँखों में गोली मारेंगे
बिना यह ज़ाहिर किए कि उन आँखों से उन्हें डर लगता है
वे बुज़ुर्गों की ज़बानों पर छुरी चलाएँगे
और दूर खड़े होकर उन्हें खिजाएँगे
वे पीठ से बाँध देंगे आपके हाथ
किसी महिला की चड्ढी से ढाँप देंगे आपका मुँह
और कहेंगे कि ढूँढ़ लीजिए वह राह
जिस पर चलना है आपकी सरकार को

आपके गले में पट्टा बाँधकर कहेंगे
सिर्फ़ हाँफों ज़ुबान निकाल कर
कराहने, रोने या चीख़ने की हिम्मत न करना
हमें तफ़रीह का मन है

और एक दिन जब उनका मन भर जाएगा
वे आपकी कनपटी पर लगाएँगे बंदूक़
और दुख के साथ कहेंगे
हमें माफ़ कर दो
वरना हम तुम्हें गोली मार देंगे