Last modified on 1 अगस्त 2012, at 17:37

उसका देखना / कुमार अनुपम

Dr. ashok shukla (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 17:37, 1 अगस्त 2012 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

बीमार था भाई और अस्पताल भरा हुआ

खुले आकाश के नीचे
नसीब हुआ उसे किसी तरह एक बेड
बेहद जद्दोजहद के बाद
ऐसा आपातकाल था

ड्रिप की सीली-सी आवाज़ थी जब बुदबुदाया—
हमारे देखने की सीमा तो देखिए !
वह चाँद देख रहा था और तारे
अब उसका बोलना बर्फ़ हो रहा था—
और जमीन पर थोड़ी ही दूरी पर
चलता हुआ आदमी तो ओझल हो जाता है
यकायक हमारी निग़ाह से
भैया, देखिए जरा कितने पेंच हैं इस दुनिया में !

वह बहुत मासूम दिख रहा था और ख़तरनाक तरीके से गम्भीर

अब मैं
उसे बीमार कहकर शर्मिंदा हो रहा हूँ ।