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एक युग की आत्मा / रकेल लेन्सरस

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जानना एक बात है
वास्तव में समझना कुछ एकदम अलग ।

जब तुम पैदा होते हो अपने धड़कते
दिल को अपनी टाँगों के बीच लिए
एक ऐसे देश में जिसने अभी-अभी खुल कर जीना शुरू किया है,
समय में से आती है रोटी की महक, दूर तक फैले क्षितिजों की महक,
न जाने किस-किस की महक, पब के 'हैप्पी आर' की महक,
आगे भागते समय और इस पल को जीने की महक ।

हमारे माता-पिता लिए हैं अपने पेट पर
उस ज़िप की आवाज़ जो अलग करती है
उन्नीसवीं सदी को इक्कीसवीं सदी से ।

उसी सहजता से
जिस से हमने फ़सल-कटाई के सँहार में हाथ बँटाया था
हमने याद किए बोन जोवी के गीतों के बोल ।

हम धन्य थे पाकर दयालु वंश-अग्रजों का ध्यान,
जिन्हें पूर्णविश्वास था त्याग करने की अपनी इच्छाशक्ति पर ।
हमें बचा लिया जीवन के दिए सम्मानों ने
डिज़ाईनर कपड़े, यात्राएँ, शनिवारों को
देर रात तक भोगा कॉलेज सेक्स, और स्कींग प्रशिक्षण ।

ओह, कैसे दुनिया घुल जाती है हमारी आँखों में
कैसे सूर्योदय और सूर्यास्त धुंधला देते हैं
गोद्नों को, शरीर पर जगह-जगह किए छेदनों को, उलझे हुए बालों को
बैल-गाड़ियों के धीमे पतन को ।

यहाँ हम खड़े रहते हैं
हैरान,
पारदर्शी, भौंचक्के
प्रफुल्ल,
मुँह खुले के खुले ।

हम, जो वचन हैं
हैं सत्तर के दशक के आत्मविश्वासी बच्चे
दर्पण के पार जातीं नन्ही-नन्ही एलिस
भूत और वर्त्तमान के वर्णसंकर ।