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घायल स्त्री / रकेल लेन्सरस

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अगर केवल एक बार तुमने
जी-जान से प्रेम किया है
कोई सुरक्षा-जाल नहीं
कोई जीवन-जाकेट नहीं
तो तुम समझ पाओगे उस अथाह घुमरी को
जो खुल जाती है घोर निराशा के क़दमों तले ।

उसने सोचा था कि उसे मिल गया है प्रारंभ का स्रोत
जब वह उस से मिली थी धरती के ठीक बीचों-बीच
उसकी खाल के सिवाय बिना किसी और ढाल के,
खाल जो सूरज ने प्राचीन सोने-सी चमका दी थी ।

वह उस से प्रेम करती थी बिना अस्थिरता, बिना प्रश्नों के,
प्यार से, चुपचाप,
उस विलासमय कृतज्ञता के साथ
जो वसंत की वर्षा जागृत करती है ।

सब कुछ कितना सहज था.
असंख्य कवियों की वे चाँदी-मढ़ी कविताएँ
लगता था जैसे हर जगह पीछा कर रही हों उसका,
कि उसका मन बन गया हो जैसे
एक वफ़ादार पालतू जानवर ।

क्योंकि कुछ भी हमेशा नहीं रहता
एक रात उसने जाना, जैसे कितने ही जान चुके हैं
उससे पहले और उसके बाद,
कि प्रेम एक नदी है जिसकी स्वयं की तेज़ धाराएँ हैं
और दूसरों के शांत कुण्ड हैं
जो हमेशा बहती है समुद्र की ओर ।

इसको ऐसे देखो : जीवन ने सिखाया है तुम्हें,
अथक शिक्षक होने की अपनी आदत के तहत,
कैसे आत्मा बनाती है
पुराने घावों पर शांत क्षत-चिन्ह ।

स्पानी भाषा से हिन्दी में अनुवाद : रीनू तलवार