Last modified on 9 अगस्त 2012, at 15:28

सपने में / अज्ञेय

Dkspoet (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 15:28, 9 अगस्त 2012 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अज्ञेय |संग्रह=सागर-मुद्रा / अज्ञ...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

 
सपने में अनजानी की
पलकें मुझ पर झुकीं
गाल मेरे पुलकाती सरक गयीं

गीली अलकें
मेरे चेहरे को
लौट-लौट सहला
मुझ को सिहरा कर निकल गयीं।
मैं जाग गया

जागा हूँ
उस अनपहचानी के
अनुराग पगा :
वह कौन? कहाँ?
अनजानी :

अन्धकार को ताक रहा मैं
आँखें फाड़े
ठगा-ठगा!
महावृक्ष के नीचे

जनवरी, 1969