तुम मेरी एक निजी घड़ी
जिस में मैं ओक भर-भर
समय पूरता हूँ
और वह बालू हो कर रीत जाता है।
जिस बालू को मैं फिर बटोरता हूँ।
किस के पैरों की छाप है
इस बालू पर जिसे ताकते-ताकते
मेरा सारा चेतन जीवन बीत जाता है?
और मैं फिर अपने को पाने के लिए तुम्हें अगोरता हूँ।
बर्कले (कैलिफ़ोर्निया), 28 मार्च, 1969