तुम तक कहीं मेरा स्वर
पहुँच जाय अचानक
तुम एक
कहीं तुम
पकड़ जाओ औचक-
कहीं बात झर जाय
मगर कहाँ! क्यों व्यर्थ
हृदय यों मर जाय!
तुम तक कहीं मेरा स्वर
पहुँच जाय अचानक
तुम एक
कहीं तुम
पकड़ जाओ औचक-
कहीं बात झर जाय
मगर कहाँ! क्यों व्यर्थ
हृदय यों मर जाय!