Last modified on 10 अगस्त 2012, at 16:18

टप्पे / अज्ञेय

Dkspoet (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 16:18, 10 अगस्त 2012 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

अमराई महक उठी
हिय की गहराई में
पहचानें लहक उठीं!
तितली के पंख खुले
यादों के देवल के
उढ़के दो द्वार खुले

नयी दिल्ली, जून, 1980