कवि का है भाग यही
आग से आग तक
जलना गलना
गलाना मन्दिर जिसका भी हो
प्रतिमा बनाना-बैठाना नहीं-
प्रतिमा के प्राणों को सुलगाना।
कवि का है भाग यही
आग से आग तक
जलना गलना
गलाना मन्दिर जिसका भी हो
प्रतिमा बनाना-बैठाना नहीं-
प्रतिमा के प्राणों को सुलगाना।