होते हैं क्षण : जो देश-काल-मुक्त हो जाते हैं।
होते हैं : पर ऐसे क्षण हम कब दुहराते हैं?
या क्या हम लाते हैं?
उन का होना, जीना, भोगा जाना
है स्वैर-सिद्ध, सब स्वतःपूर्त।
-हम इसी लिए तो गाते हैं।
नयी दिल्ली, 25 मई, 1968
होते हैं क्षण : जो देश-काल-मुक्त हो जाते हैं।
होते हैं : पर ऐसे क्षण हम कब दुहराते हैं?
या क्या हम लाते हैं?
उन का होना, जीना, भोगा जाना
है स्वैर-सिद्ध, सब स्वतःपूर्त।
-हम इसी लिए तो गाते हैं।
नयी दिल्ली, 25 मई, 1968