जागता हूँ
तो जानता हूँ
कि मेरे पास एक सपना है :
सोता हूँ
तो नींद में
वही एक सपना
कभी नहीं आता।
तुम्हें
मैं किसी तरह छोड़ नहीं सकता :
यों अपने से
मुक्ति नहीं पाता।
ग्वालियर, 16 अगस्त, 1968
जागता हूँ
तो जानता हूँ
कि मेरे पास एक सपना है :
सोता हूँ
तो नींद में
वही एक सपना
कभी नहीं आता।
तुम्हें
मैं किसी तरह छोड़ नहीं सकता :
यों अपने से
मुक्ति नहीं पाता।
ग्वालियर, 16 अगस्त, 1968