Last modified on 17 अगस्त 2012, at 15:26

नई बस्ती / लालित्य ललित

आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 15:26, 17 अगस्त 2012 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=लालित्य ललित |संग्रह=चूल्हा उदास ...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)


ऐसा क्यों होता है
मृत्यु को करीब देख
देह को छोड़ना
नहीं चाहता मन
रे मन
चल उस ओर
जहां है एक
नया नील गगन
नई बस्ती
और यह रहा तुम्हारा
आवंटित नंबर
मन देखता रहा
शरीर खामोश पड़ा है
आसमान में
चमकी बिजली
यानी
आप का पंजीकरण हो
चुका है ।
नेक्स्ट प्लीज !