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नालायक औलाद / लालित्य ललित

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पहले
पति के जाते ही
पत्नी बेबस हो
जाया करती थी
देवर या
किसी से बंध जाया
करती थी
मगर अब
जमाने में रहती है
निपुण है
चौकन्नी है
सब को पहचानती है
तरीके से बीमा राशि
निकाल फिक्स करा दी है
बच्चों के भविष्य पर
टिकी है
मां की नजर
यही है उसकी लाठी
लेकिन एकमात्र बेटा
ऐसा निकला
शादी करा, नकली डीड
बना मां को निकाल
बाहर किया
घर की स्वामिनी
सड़क पर है
क्या इसी दिन के लिए
मांगी थी औलाद ?
मां सड़क पर
और बहू-बेटा
यही है सच
क्या करें ?
इससे अच्छे हैं
वे दंपति
जो नहीं चाहते उनके
आंगन में गूंजे कभी
किलकारियां
क्यों कि यही किलकारियां
घर की खुशी को एक दिन
‘किल’ कर देती है
आप क्या चाहते हैं ?