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मां / लालित्य ललित

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सुबह से रात तक
परिवार को पालती है
खाना-घर, रिश्ते-नाते
पड़ोस को निभाती है
पति की सुनती है
जली-कटी
मगर सहती है
सास-सुसर के
नख़रे
देती है परिवार को दिशा
संस्कार
वाकई मां इस पृथ्वी की
सर्वोत्तम इकाई है
जिस पर गर्व किया जा सकता है
मां तुझे सलाम !