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यही दर्पण / नंदकिशोर आचार्य
आशिष पुरोहित
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जब देखो
दर्पण में अपनी आँख
दिखती है -
खुद को हटा लूँ
तो यही दर्पण
सभी कुछ हो जायेगा
(1983)