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सुख / संगीता गुप्ता

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सुख
जो तुमने दिया
जी चाहता है
डीप फ्रिजर में
सहेज कर
रख दूँ उसे
गाहे - बगाहे
आड़े वक़्त
जब जीना बेमानी लगे
उसका एक टुकड़ा
माइक्र्रोवेव में
गरमा लूँ
भर लूँ उसकी उर्जा
अपनी सर्द साँसों में
ताजा़दम हो
निकल पड़ूँ फिर
जीवन से
आखें चार करने