उषा
रचनाकार | गुलाब खंडेलवाल |
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प्रकाशक | |
वर्ष | |
भाषा | हिंदी |
विषय | |
विधा | महाकाव्य |
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विविध |
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- सूना जीवन, लक्ष्य-दिशा है धूमिल तुमको खोकर (प्रथम सर्ग) / गुलाब खंडेलवाल
- कहीं मरीचियाँ कढ़ीँ, कहीं दिनांत हो गया (पंचम सर्ग) / गुलाब खंडेलवाल
- मैं अमाँ की एक विस्तृत तान (पंचम सर्ग) / गुलाब खंडेलवाल
- अयि अमर चेतने ज्योति किरण (अष्टम सर्ग) / गुलाब खंडेलवाल
- इस मधुर स्वप्न का कहीं अंत! (दशम सर्ग) / गुलाब खंडेलवाल
- जीवन का क्षण-क्षण नाच रहा (दशम सर्ग) / गुलाब खंडेलवाल
- इस पार कौन? उस पार कौन? (दशम सर्ग) / गुलाब खंडेलवाल
- प्रिय तुम तो सावन के प्रभात (दशम सर्ग) / गुलाब खंडेलवाल
- यह कैसा कोमल करुण राग (दशम सर्ग) / गुलाब खंडेलवाल
- इस जलते जीवन का प्रमाद (दशम सर्ग) / गुलाब खंडेलवाल
- मैं जीवन-सत्ता दुर्निवार ( दशम सर्ग) / गुलाब खंडेलवाल
- तुम कौन पिकी-सी रही बोल (दशम सर्ग) / गुलाब खंडेलवाल
- भीख स्नेह की सजल नयन कितनी ही माँगे (एकादश सर्ग) / गुलाब खंडेलवाल