Last modified on 30 अगस्त 2012, at 04:50

हार नहीं मानूँगा / गुलाब खंडेलवाल

Vibhajhalani (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 04:50, 30 अगस्त 2012 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=गुलाब खंडेलवाल |संग्रह=कितने जीव...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)


हार नहीं मानूँगा
बाजी एक हार भी जाऊँ, और नयी ठानूँगा
 
गरजे व्योम, जलद घहरायें
कितनी भी हों क्रूर दिशायें
आयें, जो पवि-पाहन आयें
मैं सीना तानूँगा
 
यह संसार भले ही छूटे
आस्था की दृढ डोर न टूटे
रूप रचा कितने भी झूठे
तुझको पहचानूँगा

हार नहीं मानूँगा
बाजी एक हार भी जाऊँ, और नयी ठानूँगा