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जब ये जीवन फिर पायेंगे / गुलाब खंडेलवाल

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जब ये जीवन फिर पायेंगे
कभी कहीं तो चलते चलते पथ पर मिल जायेंगे

पलकें झुका फेर मुँह लोगी
देखा अनदेखा कर दोगी
या मन में कुछ हलचल होगी
लोचन भर आयेंगे

जैसे कोई याद पुरानी
जाग उठेगी पीर अजानी
क्या न प्रेम की यही कहानी
फिर से दोहरायेंगे

अथवा किसी अजान देश में
समवय समरूचि भिन्न वेश में
लिए ह्रदय में प्रीति शेष में
केवल पछतायेंगे

जब ये जीवन फिर पायेंगे
कभी कहीं तो चलते चलते पथ पर मिल जायेंगे