Last modified on 13 सितम्बर 2012, at 13:22

समझ / संगीता गुप्ता

आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 13:22, 13 सितम्बर 2012 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=संगीता गुप्ता |संग्रह=समुद्र से ल...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)


युगों को पार कर
मन का मन तक
पहुँचना
अभिभूत कर गया

उसको जानने की प्रक्रिया में
स्वयं को जानना, समझना
उस तक पहुँचना
लौटना स्वयं तक

विस्मय के
इस सुख में
डूबती
वह महसूसती
प्रेम से
बड़ी होती
समझ