Last modified on 23 सितम्बर 2012, at 08:49

नीलकण्ठ नारी / तस्लीमा नसरीन

Dr. ashok shukla (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 08:49, 23 सितम्बर 2012 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKAnooditRachna |रचनाकार=तसलीमा नसरीन }} Category:बांगला <poem> ...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

मुखपृष्ठ  » रचनाकारों की सूची  » रचनाकार: तसलीमा नसरीन  » नीलकण्ठ नारी

पीने के लिए मैं जो भी पात्र चुनती हूँ
उसमें होता है ज़हर, लेकिन पास ही
नासपाती का मधुर रस, अनार और अंगूर का बादामी शरबत।
हमेशा मैं रंग देखकर ग़लती कर बैठती हूँ
जो रंग ज़्यादा चमकीला होता है
उसके मोह में तुरन्त झुक जाती हूँ मैं
और पाती हूँ, कण्ठ से होकर उतरता है गरल।

यह मेरी व्यर्थता है कि
सौ गुलाबों के बीच से भी मैं हाथ मे उठा लेती हूँ
कनेर के पीले फूल।

मूल बांग्ला से अनुवाद : मुनमुन सरकार