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क्या किया / चंद्रभूषण

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क्या किया?

थोड़ा एनिमल फार्म पढ़ा
थोड़ा हैरी पॉटर
कुछ पार्टियाँ अटेंड कीं
बहुत सारा आई०पी०एल० देखा

एक दिन अन्ना हजारे के अनशन में गया
पूरे दिन भूखा रहने की नीयत से
लेकिन रात में आंदोलन ख़त्म हो गया
तो खा लिया— बहुत सारा

एक गोष्ठी में सोशलिज्म पर बोलने गया
पता चला, सूफ़िज्म पर बोलना था
सब बोल रहे थे, मैं भी बोला
फिर एक गोष्ठी में ज्ञान पर बोला
और इस पर कि इतने बड़े बाज़ार में
ज्ञान के कंज्यूमर कैसे पहचाने जाएँ

उसी दिन ज्ञान गर्व से मुफ़्त की दारू पी
और उससे बीस दिन पहले भी
कामयाब रिश्तेदारों के बीच
नाचते-गाते हुए, खूब चहक कर पी

दारू वाली दोनों रातों के बीच
एक सीधी-सादी सूफ़ियाना रात में
घर के पीछे हल्ला करने वालों पर सनक चढ़ी
जबरन पंगा लेकर पूरी बारात से झगड़ा किया
रात बारह बजे दराँती वाला चाकू लेकर
माँ-बहन की गालियाँ देता दौड़ा
किसी को मार नहीं पाया, पकड़ा गया

बाद में कई दिन भीतर ही भीतर घुलता रहा
जैसे ज़िन्दगी अभी ख़त्म होने वाली है
इस बीच, इसके आगे और इसके पीछे
जागते हुए, नींद में और सपने में भी
नौकरी की....नौकरी की....नौकरी की

लगातार सहज और सजग रहते हुए
पूरी बुद्धिमत्ता और चतुराई के साथ
कि जैसे इस पतले रास्ते पर
पाँव जरा भी हिला तो नीचे कोई ठौर नहीं

एक दिन मिजाज़ ठीक देख बेटे ने कहा,
पापा आप कभी-कभी पाग़ल जैसे लगते हो
मैंने उसे डाँट दिया
मगर नींद से पहले देर तक सोचता रहा—
इतना बड़ा तो कर्ज़ हो गया है
कहीं ऐसा सचमुच हो गया तो क्या होगा ।