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बींठ (7) / सत्यनारायण सोनी

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यह जो बाबा
हुक्का गुडग़ुड़ा रहा है,
बैठा-बैठा सबको बता रहा है-
'लकड़ी के चिलमिए तो
बड़े जल्द ही
कजळाते हैं,
ये मींगणे ही हैं जो
घंटो-घंटों
सजळाते हैं।'

2005