Last modified on 28 अक्टूबर 2012, at 17:48

संदेश / पवन करण

अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 17:48, 28 अक्टूबर 2012 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=पवन करण |संग्रह= }} {{KKCatKavita‎}} <Poem> धरती क...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

धरती कानों में
बीज फुसफसाए
पानी पेड़ो के कान में
धरती बोली पानी

पक्षियों के कान में
पेड़ों ने कहा पानी
आसमान के कानों में
पक्षी चिल्लाए पानी

संदेशा कानों-कान पहुँचा
पानी दौड़ा-दौडा आया