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नाराज मौसम / विमल राजस्थानी

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आजकल मौसम बहुत नाराज है
श्रुति-पटों में नहीं घुलती कोकिलों की मखमली आवाज है
आजकल मौसम बहुत नाराज है
बज रहीं सारी दिशाएँ बेसुरी
वृत्तियाँ सब हो रही हैं आसुरी
कंठ-ध्वनि कर्कश, नहीं व्रज-कुंज को
गुदगुदाहट सौंपती है बाँसुरी
बेसुरे सरगम क्षितिज को छू रहे
इन्द्रधनु बदरंग, निष्प्रभ आज है
आजकल मौसम बहुत नाराज है
मेघ छा कर लौट जाते बिन झरे
बौर चू जाते धरा पर बिन फरे
फूल बन पाती नहीं कलियाँ, विपिन
लाल डोरे नयन में कैसे भरे
ग्रीष्म घूरे सावनी अंदाज में,
बिजलियों की कलगियों से कौंधता
शिशिर के शिर बादलों का ताज है
आजकल मौसम बहुत नाराज है