मुझे अपना अतीत लौटा दो
मुझे नहीं चाहिए आपकी यह नई सभ्यता
यह वेहशीपन
यह नंगापन
यह धर्म का व्यापार
यह बच्चों पर अत्याचार
यह जिस्म! जवान जिस्म का बाज़ार
यह खोखली गंदी भाषा
यह बेशर्मी का आलम
यह कठपुतली का सड़ा समाज
यह नकली प्यार
यह नकली खुशी
यह आदर्शों की हत्या
यह मान मर्यादाओं का बलात्कार
यह बेसुरी ताल का संगीत ।
मुझे मेरा अतीत लौटा दो
मुझे अपना संयुक्त परिवार चाहिए
मुझे माँ के हाथ का बनाया भोजन चाहिए
मुझे भाई-बहनों का प्यार चाहिए ।
मुझे शुद्ध भाषा में भगवद-गीता के श्लोक सुनना है ।
मुझे श्रद्धापूर्ण गाये गये भजनों को सुनना है
मुझे अपना बचपन लौटा दो ।
तारों भरा वह आकाश
प्रेम और विश्वास से गुंथा वह स्वप्न
खिलौनों का वह पिटारा
माँ की मधुर आवाज़ की लोरियाँ
धरती से उठती वह सौंधी खुशबू
वह भवरों का गान ।
शाम को घर लौटने की खुशी
मेरे बचपन की गलियाँ
मेरे अपने , मेरा वह घर मेरे सपने
मेरे भविष्य पर मेरा विश्वास