तुम्हारा पल दो पल का साथ
तुम से की दो बातें
भर देती हैं मुझे
मीठे एहसास से
भूल जाती हूँ
एकाकीपन की थकान
अजनबी षहर की
खत्म न होती भीड़ में
अपना लगता है मुझे
ऑंखों में कौंध जाता
सिर्फ तुम्हारा चेहरा
तुम्हारा पल दो पल का साथ
तुम से की दो बातें
भर देती हैं मुझे
मीठे एहसास से
भूल जाती हूँ
एकाकीपन की थकान
अजनबी षहर की
खत्म न होती भीड़ में
अपना लगता है मुझे
ऑंखों में कौंध जाता
सिर्फ तुम्हारा चेहरा