Last modified on 9 दिसम्बर 2012, at 21:35

माइग्रेन / ईमान मर्सल

Dkspoet (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 21:35, 9 दिसम्बर 2012 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKAnooditRachna |रचनाकार=ईमान मर्सल |संग्रह= }} [[Category:अरबी भ...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

मुखपृष्ठ  » रचनाकारों की सूची  » रचनाकार: ईमान मर्सल  » माइग्रेन

मैं इस गहरे पुराने माइग्रेन का बयान इस तरह करना चाहती हूं
कि यह एक सबूत की तरह दिखे
इस बात का
कि मेरे विशाल मस्तिष्क में सारी रासायनिक क्रियाएं
भली-भांति चल रही हैं

मैं ऐसे करना चाहती थी शुरुआत :
'मेरी हथेलियां इतनी बड़ी नहीं हो पाईं कि मैं अपना सिर थाम सकूं'

लेकिन मैंने लिखा :
'जाने किस पिस्तौल से सरसराती निकलती है गोली
शांत अंधेरे को चीरती
कैसी तो हड़बड़ी
कोई दरार है
आपस में टकरा गए हैं बम के बेशुमार बेतुके छर्रे

और एक आनंद भी है:
बस, याद-भर कर लेने से कुछ पीड़ादायी जगहें
कैसे ताव में आ जाती हैं'

अंग्रेजी से अनुवाद : गीत चतुर्वेदी