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सागर / संगीता गुप्ता

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सागर
मेरे प्रश्न का उत्तर दोगे ?
बता सकोगे
कैसा लगता है तुम्हें
नदी का समर्पण ?

नदी
जिसने
तन - मन
अर्पित किया तुम्हें
तुम में समा कर
अस्तित्व भी खो दिया जिसने
उसे स्वीकार
क्या तुम भी
पूर्ण हुए सागर ?

तुम में लीन
उसका स्व
क्या तुम्हें
और विस्तृत
और विशाल
बना सका ?

ओ नील
असीम , अशेष
धीर, गम्भीर
विराट
कुछ तो बोलो
कैसा लगता है तुम्हें
नदी का समर्पण ?