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पहचान / सूर्यदेव सिबोरत

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कुछ
समझ न पाया
तेरे चेहरे की
वर्णमाला को ।

या तो
मैं पढ़ न सका
या मैंने
पढ़ना नहीं जाना
या
पढ़कर भी
समझा नहीं कुछ
या मैंने
पढ़ा ही नहीं … शायद

क्योंकि
हर बार
उस पर
एक नया अक्षर होता
और
एक नया व्याकरण ।