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निज़ामुद्दीन-7 / देवी प्रसाद मिश्र

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पता नहीं यह किस्सा ग़ालिब ने कभी सुनाया भी या कि कभी नहीं सुनाया कि एक आदमी सत्ता का ग़ुलाम हो जाया करता था और उसको इसका नुक़सान यह हुआ कि उसका फ़ायदा कम होता ही नहीं था।