Last modified on 21 मार्च 2013, at 13:42

सुनहरा सपना / दिनकर कुमार

अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 13:42, 21 मार्च 2013 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=दिनकर कुमार |संग्रह=उसका रिश्ता ...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

आपके पास देश के लिए सुनहरा सपना है
कैमरे के सामने बैठे हैं आप
पढ़ रहे हैं हम लोगों के भाग्य का लेख
आपके सामने एक गिलास पानी है
और अगल-बगल में संतरी या दरबारी हैं
हम आपकी तस्वीर देखते हैं
आप हमारी पहुँच से बहुत दूर हैं
आपने बढ़िया सूट पहन रखा है
अच्छे संवाद रट रखे हैं
शेर-ओ-शायरी का भी ठीक से रियाज़ किया है
आप शोक की बातों में भी हल्कापन लाने के लिए
मिला देना चाहते हैं मनोरंजन
आपके पास अर्थतंत्र है
जिसे आपके सहोदरों ने
चूसा है बटोरी है मलाई
और फेंक दी है जूठन हमारे लिए
आपके वक्तव्य से
और जटिल हो जाएगी हम लोगों की ज़िन्दगी
आप थपथपाएँगे अपनी पीठ
अपने आला दिमाग़ और ज़ुबान पर
इतराएँगे आप
और हम राशन की खोज में
किरासन की खोज में
भटकते फिरेंगे अश्वत्थामा की तरह
वह जो सुनहरा सपना आप हमें दिखाते हैं
उससे मौज़ मनाएँगे आपके सहोदर ही
आपने प्रशस्त कर दिया है मार्ग
हमारा कौर छीनने का मार्ग
हम कैसे बजाएँ ताली
अपनी बदहाली की भविष्यवाणी सुनकर ।