Last modified on 19 अप्रैल 2013, at 23:39

हम परदेशी पावणां / निमाड़ी

Mani Gupta (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 23:39, 19 अप्रैल 2013 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKLokRachna |रचनाकार=अज्ञात }} {{KKLokGeetBhaashaSoochi |भाषा=निमाड़ी }...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

   ♦   रचनाकार: अज्ञात

    हम परदेशी पावणां,
    दो दिन का मेजवान
    आखीर चलना अंत को
    नीरगुण घर जांणा...
    हम परदेशी...

(१) नांद से बिंद जमाईया,
    जैसे कुंभ रे काचा
    काचा कुंभ जळ ना रहे
    एक दिन होयगा विनाशा...
    हम परदेशी...

(२) खाया पिया सो आपणां,
    दिया लिया सो लाभ
    एक दिन अचरज होयगा
    उठ कर लागो गे वाट...
    हम परदेशी...

(३) ब्रह्मगीर ब्रह्म ध्यान में,
    ब्रह्मा ही लखाया
    ब्रह्मा ब्रह्मा मिसरीत भये
    करी ब्रह्म की सेवा...
    हम परदेशी...