|
आप खिलौना
बन जाना
चाहती हैं, मादाम
लेकिन नष्ट हो चुका है
कारख़ाना आपका
अब आपकी गोलाबारी की ज़द में
बिना कविता के
कोई नहीं आएगा
(रचनाकाल : 1911)
|
आप खिलौना
बन जाना
चाहती हैं, मादाम
लेकिन नष्ट हो चुका है
कारख़ाना आपका
अब आपकी गोलाबारी की ज़द में
बिना कविता के
कोई नहीं आएगा
(रचनाकाल : 1911)