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पंक्तियों का रविवार / नीरज दइया

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लिखते हुए मैं नहीं जानता
कविता की एक पंक्ति
क्या होगी अगली पंक्ति?
कुछ भी हो सकता है
आने वाले समय में
यह भी हो सकता है
कि खाली चला जाए
हर वार!

कविता में पंक्तियां
जब चाहे मना लें रविवार!