Last modified on 16 मई 2013, at 06:06

कुछ शब्द / नीरज दइया

किसी अभिव्यक्ति के लिए
चाहिए असरदार कुछ शब्द
कवि ने कहे- कुछ शब्द
हम समझे- कुछ शब्द
शेष रह गए- कुछ शब्द !

ऐसे में कुछ शब्द
हो जाते हैं नाराज़
और मैं रुक जाता हूँ
उनके पास कहीं क़रीब

शब्द हैं तो सही
पर शायद नींद में हैं
या कहीं चले गए हैं दूर
कुछ शब्द और मैं
खड़े हैं विरह में मूर्तिवत
ख़ामोश-उदास-सुस्त से

मेरा निवेदन है आपसे
जो शब्द हैं आपके सामने
उन्हें थोड़ा-सा दुलार दें
और कुछ नहीं चाहिए
बस थोड़ा-सा मुस्कुरा दें ।