Last modified on 16 मई 2013, at 06:19

गुड़िया-3 / नीरज दइया

जिस गुड़िया से था
प्यार बचपन में
वह कितना निष्पाप था

उसे दिन-रात चूमना
और बार-बार गले लगाना
कितना बेदाग था

अब पाप में
दाग गिन भी नहीं पाता !