जिस गुडिय़ा से था
प्यार बचपन में
वह कितना निष्पाप था
उसे दिन-रात चूमना
बार-बार गले लगाना
कितना बेदाग था
अब पाप में
दाग गिन भी नहीं पाता!
जिस गुडिय़ा से था
प्यार बचपन में
वह कितना निष्पाप था
उसे दिन-रात चूमना
बार-बार गले लगाना
कितना बेदाग था
अब पाप में
दाग गिन भी नहीं पाता!