Last modified on 16 मई 2013, at 06:26

बिना शब्दों के / नीरज दइया

Neeraj Daiya (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 06:26, 16 मई 2013 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

क्या बतियाना होता है
सिर्फ शब्दों से?
शब्द कहां
व्यक्त कर पाते हैं-
व्यक्त करने पर भी
रह जाता है
बहुत कुछ अव्यक्त....

अगर होती शक्ति शब्दों में
मैं लिखता-
हमने क्या बात की
बिना शब्दों के !