पछिला वर्ष केचुआकें,
पुरान बिमारीक पुरना पुरजा जकाँ छोड़ने
स्वप्नक इन्द्रधनुषी आकारकें अपन आँखिमे समेटने
डाक-पियून जकाँ, अपन पीठ पर,
वर्ष भरिक अनेक सद्भावना-यात्राक अनेक सन्धि-पत्र
ओहि सन्धि-पत्रक अनक छद्मक अनेक लहासकें
लादने, धरतीक अनेक अनेक असहाय मृत्युक,
अनेक अनेक मेहदी हाथक थकुचल जाइत
रंगक घटनाक मूक ओ क्षुब्ध गबाह बनल
लाजसँ मूड़ी गोंतने, बुढ़बा इतिहास
नहुँ नहुँ आबिकें नवीन वर्षक सिंहद्वार पर
ठाढ़ भ’ गेल अछि।
आ’ क्षुब्ध भावें देखि रहल अछि
वर्तमानक डस्टबीनमे पड़ल पाँच वर्षक लेल
लहुलुहान भेल पड़ल अनेक मनुसआ
अनेक पाथर भेल आँखि
आ देखि रहल अछि
अपस्याँत सड़क गलीक भागल जाइत हिंसक जंगल
हिंसक जंगलक अनेक अनेक सियाह
इतिहास देवता !
अवाक् अछि,
श्मशानमे बहैत बसात जकाँ उदास अछि !
पाँतरमे ठाढ़ एसगरूआ ताड़क गाछ जकाँ
तटस्थ अछि।
मन्दिर मस्जिदक गुम्बद जकाँ
हत्प्रभ अछि
उदास उदास अछि
आ भविष्य ?
भविष्य प्रेसक मैनेजर जकाँ सतर्क भावें
पांडुलिपिक प्रतीक्षामे बैसल अछि।
नहि जानि (अन्तमे) ओ पांछुलिपि
कॉमेडीक होएत आकि ट्रैजेडीक होएत ?