प्रसन्न भै कुर्सी देखा रहल अछि बतीसी
आब एकर पीठ पर एक क्विंटलक नेता अहि,
बैसल करैछ एक गोट निपट्ट ढेंग
दिन भरि चढ़ैत रहैत छैक तंत्रसिक्त गजरा ढेंगक माथ पर।
कादम्बलताक बाहुपाशमे ओ बितबैत अछि राति। दिनमे
ओकरा कुर्सी परसँ हटेबामे समर्थ नहि अछि न्यायालय
शास्त्रपूजाक स्थान ल’ रहल अछि शस्त्रपूजन
ध्रपुद पर खयाल। खयाल पर ठुमरी। ठुमरी पर दादरा। दादरा पर गीत।
गीत पर गजल। गजल पर कौवाली
कोकिल पर काकवली !
ताहि पर सभक बाप ‘पॉप’ अछि टॉप