Last modified on 2 जून 2013, at 22:50

चिचिया उठल अश्वत्थामा / धीरेन्द्र

सशुल्क योगदानकर्ता २ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 22:50, 2 जून 2013 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=धीरेन्द्र |संग्रह= }} {{KKCatKavita‎}} {{KKCatMaithiliR...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

लएह ! चिचियाएल अश्वत्थामा दूध आर रोटीकेर खातिर !
सम्हरह द्रुपदक औरस ! आब ने मानत द्रोण !!
स्वयं सहै ले सहओ ओ जे किछु; मुदा सन्ततिक चिन्ता,
उद्वेलित ओकरा क’ देतै;
विद्या अप्पन घोंटि-घाँटि क’ फेकत एम्हर-ओम्हर !
अर्जुन, भीम, युधिष्ठिर सन-सन कतेक रथी, महारथी होएत।
(अनिति दूरमे बुझा रहल अछि शंका कोनो महाभारत केर !)