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तरंग / हंसराज

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बीच जल-तरंगमे झिलहरि खेलाइत
तीनटा कुमारि नव यौवना
करूआरि ल’ नाओ खेबबाक निमित्त
झगड़ा करैत, एके बैर गंगामे कूदि गेलीह !
खाली डगमग करैत नाओ
भसिआएल जा रहल अछि
आ, ठेहुन भरि नाओक पानिमें
डूबल अछि करूआरि।

ललाओन खरखर पाथरक सोपान पर बैसल हम
देखि रहल छी घोर-मट्ठा हिलकोरसँ होइत एकाकार
नीरव, नील नभमे उठल अछि बड़ी जोर बिहाड़ि।